श्रीमती रतन
शास्त्री के सम्मान में
प्रशस्ति-पत्र
शिक्षा इन्सान में निहित
सद्भावना और संस्कार की परिपूर्णता का प्रकट रुप है। स्वयं औपचारिक शिक्षा से
मंडित न होते हुए भी श्रीमती रतन शास्त्री ने शिक्षा के क्षेत्रमें अपने इस रुप का
परिचय दिया है। 1935 में उनके द्वारा महिलाओं के लिए स्थापित वनस्थली विद्यापीठ, जो
आज विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त कर चुका है, श्रीमती शास्त्री की इसी सद्भावना,
संस्कार तथा अथक लगन का दृश्य प्रतीक है।
आज से चालीस-पचास वर्ष
पहले के जमाने के राजस्थान में, लड़कियों को पर्दे से और घर की चारदीवारी से बाहर
निकाल साथ-साथ बैठ पढ़ने के लिए प्रेरित करना अपने आप में बहुत बड़ी एवं
क्रांतिकारक उपलब्धि थी। इसका आदर्श उन्होंने स्वयं पर्दा पहनना बंदकर और
स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान जयपुर सत्याग्राह में भाग लेकर अन्य महिलाओं के सामने
रखा।
वनस्थली विद्यापीठ अपने
आरंभ से ही भारत की बुनियादी सांस्कृतिक परंपरा के तथा आज के भारतीय समाज में
आधुनिक शिक्षा प्रचार के महत्व को समझते हुए छात्राओं के व्यक्तित्व-विकास के लिए
प्रयासशील रहा है। यह विद्यापीठ नर्सरी से स्नातकोत्तर साधारण शिक्षा के अलावा ऐसी
विविध गतिविधियाँ आयोजित करता है जो छात्राओं को जीवन में आत्मनिर्भर तो बनाती ही
हैं, कला के स्पर्श से उस जीवन को सुचारु एवं रोचक बना देती हैं।
आज, जब जीवन-मूल्यों को
टूटते, आपस में टकराकर बिखरते देख हर इन्सान के अंदर एक बेचैनी, हताशा जन्म ले रही
है, ऐसे माहौल में श्रीमती शास्श्री की पिछले चार-पाँच दशकों से चली आ रही यह
प्रगतिशील प्रयास-यात्रा उनके विचार और आचार की दृढ़ता का परिचय देते हुए आशा की
रोशनी जगाती है। वनस्थली के शिक्षाक्रम में पूरब के आध्यात्मिक और पश्चिम के
वैज्ञानिक दृष्टिकोण के मेले का आग्रह रख, शिक्षा की जिस प्रणाली को उन्होंने
प्रचलित किया है, उसके ज़रिए छात्राओं में जनतांत्रिक मूल्यों, राष्ट्रीय एकात्मता,
सब धर्मों की सारभूत एकता और अंतरराष्ट्रीय सद्भावना के बीज बोये जाते हैं।
छात्राओं के व्यक्तित्व के सभी पहलुओं का एकात्मिक विकास करने पर जैसे बल दिया जाता
है, वैसे ही उनके मन में सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना भी जागृत की जाती है। इस
परस्पर निर्भर प्रयास में श्रीमती शास्त्री के सशक्त विचार ही प्रतिबिंबित
हैं।
महिला शिक्षा के क्षेत्र
में दिये गये इस योगदान के अलावा श्रीमती शास्त्री ने वनस्थली ग्राम के विकास के
लिए कई कार्यक्रम आयोजित किये, जिनमें खादी एवं आत्मनिर्भरता, साक्षरता प्रसार,
डाक्टरी सहायता आदि प्रमुख हैं।
महिला व बालकल्याण के
क्षेत्र में सराहनीय योगदान के लिए जमनालाल बजाज पुरस्कार हेतु श्रीमती रतन
शास्त्री का चयन कर फाउण्डेशन के ट्रस्टीगण, महिलाओं का सामाजिक स्तर बढ़ाने के लिए
उनके द्वारा की गयी निःस्वार्थी एवं सुनियोजित सेवा को सम्मानित कर स्वयं को धन्य
मानते हैं।